यह विश्व में यूरोप,एशिया,उत्तरी अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है | समस्त भारत में यह बाग़-बगीचों में विशेषतः उत्तर भारत तथा कश्मीर में लगाया जाता है | यह अत्यंत सुगन्धित क्षुप होता है | इसके तेल,सत तथा स्वरस आदि का चिकित्सा में उपयोग किया जाता है | इसके पुष्प बैंगनी,श्वेत अथवा गुलाबी वर्ण के तथा पुष्पदण्ड के अग्र भाग पर लगे होते हैं | इसके फल चिकने अथवा खुरदुरे तथा बीज छोटे होते हैं | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल सितम्बर से अप्रैल तक होता है |
पिपरमिंट का औषधीय प्रयोग -
१- पिपरमिंट के क्रिस्टल को दांतों के बीच में रखकर दबाने से दांत दर्द में लाभ होता है |
२- पिपरमिंट को छाती पर लगाने से श्वसन संस्थान गत सूजन में लाभ होता है |
३- पिपरमिंट क्रिस्टल का सेवन करने से उलटी,अतिसार,आध्मान तथा अजीर्ण में लाभ होता है |
४- २५ ग्राम पिपरमिंट सत में शक्कर मिलाकर सेवन करने से पेटदर्द तथा पेट के विकार ठीक होते हैं |
५- पिपरमिंट के पत्तों को पीसकर लगाने से चींटी आदि कीटों के काटने से होने वाली वेदना का शमन होता है |
पिपरमिंट का औषधीय प्रयोग -
१- पिपरमिंट के क्रिस्टल को दांतों के बीच में रखकर दबाने से दांत दर्द में लाभ होता है |
२- पिपरमिंट को छाती पर लगाने से श्वसन संस्थान गत सूजन में लाभ होता है |
३- पिपरमिंट क्रिस्टल का सेवन करने से उलटी,अतिसार,आध्मान तथा अजीर्ण में लाभ होता है |
४- २५ ग्राम पिपरमिंट सत में शक्कर मिलाकर सेवन करने से पेटदर्द तथा पेट के विकार ठीक होते हैं |
५- पिपरमिंट के पत्तों को पीसकर लगाने से चींटी आदि कीटों के काटने से होने वाली वेदना का शमन होता है |
No comments:
Post a Comment