Friday, 5 April 2013
"अपनों के बीच अकेलापन"
कभी कभी जिंदगी ऐसे मोड पर खड़ा कर देती है , जंहा आप अपनों के होते हुए भी अकेले होते हो,तो क्या वो वास्तव मै आप के अपने है ? जंहा आपको आपने ही गले लग कर दुख बाटना पड़ता है, या जंहा आप एक जप्पी के लिए तरस जाते हो,पप्पी तो दूर की बात है, इस का मतलब आप उनके लिए किस काम के नही हो ,आप के पास कुछ नही है, अगर आप के पास धन नही है तो फिर आप गए काम से , कोई भी आप को अपने पास नही बुलाएगा, आप के अपने सबसे पहेले दूर जायेंगे ,अगर आप उनसे कहोगे की आप ने उनके लिए बहुत कुछ किया है ,तो वो आपको कहेंगे की हम ने कब कहा था ,की हमारे लिए कुछ करो ,आप किसी धनवान को बताये की वो अकेला है,यंहा हर रिश्ता मतलब का है ,और ज्यादतर पैसो का , हम भगवन की पूजा भी अपने मतलब के लिए करते है , क्युकी हमें उनसे कुछ चाहिये, किसी को मन की शांति चाहिये ,किसी को धन दोलत चाहिये ,माँ बाप का रिशत भी मतलब का होता है , अगर आप कोई आच्छा काम कर देते हो, तो कहेंगे आखिर बेटा या बेटी किसी है, और अगर आप उनकी इच्छा के विपरीत कोई काम कर देते हो तो ,कहेंगे , तू पैदा होते ही मर क्यों नही गया, या हमारे बच्चे नही होते तो अच्छा था , यहाँ हर जगह स्वार्थ है ,इसीलिए कोशिश करये की, आप अपने आप को इस काबिल बनाओ की, आप की सब को जरुरत पड़े,तो फिर आप अभी अकेले नही होंगे ,
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