Saturday, 22 February 2014

our devi and devta

अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है।
33 करोड नहीँ 33 कोटि देवी देवता हैँ
हिँदू
धर्म मेँ।
कोटि = प्रकार। देवभाषा संस्कृत में
कोटि के दो अर्थ होते है,
कोटि का मतलब
प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़
भी होता।
हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के
लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33
करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख
हिन्दू
खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़
देवी देवता हैं........
कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म
मेँ:
12 प्रकार हैँ आदित्य: , धाता, मित,
आर्यमा,
शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष,
सविता, तवास्था, और विष्णु...!
8 प्रकार हैँ
वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल,
प्रत्युष
और प्रभाष।
11 प्रकार हैँ- रुद्र: ,हर,
बहुरुप,त्रयँबक,
अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी,
रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।
एवँ
दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।
कुल: 12+8+11+2=33
अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है
तो इस जानकारी को अधिक से अधिक
लोगो तक पहुचाएं।

save heart

for video plz click
http://www.youtube.com/watch?v=C8NbDw4QGVM&feature=plcp
दोस्तो अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनिया जो दवाइया भारत मे बेच रही है ! वो अमेरिका मे 20 -20 साल से बंद है ! आपको जो अमेरिका की सबसे खतरनाक दवा दी जा रही है ! वो आज कल दिल के रोगी (heart patient) को सबसे दी जा रही है !! भगवान न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !लेकिन अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास !

और आपको मालूम ही है एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन मे डाक्टर दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर वो 3 से 5 लाख रुपए मे बेचते है और ऐसे लूटते हैं आपको !

और एक बार attack मे एक stent डालेंगे ! दूसरी बार दूसरा डालेंगे ! डाक्टर को commission है इसलिए वे बार बार कहता हैं angioplasty करवाओ angioplasty करवाओ !! इस लिए कभी मत करवाए !

तो फिर आप बोलेंगे हम क्या करे ????!

आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये ! angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे डालता है !! वो spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन बाद उस spring की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा attack आता है ! और डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लूटता है और आपकी ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! !

अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक इलाज !!
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हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !!
उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!

वागवट जी लिखते है कि कभी भी हरद्य को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !

अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!

अमलता दो तरह की होती है !
एक होती है पेट कि अमलता ! और एक होती है रक्त (blood) की अमलता !!
आपके पेट मे अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अमलता(blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!

इलाज क्या है ??
वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो छारीय है !

आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !

अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline )

अब अमल और छार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????
((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????

neutral होता है सब जानते है !!
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तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और रक्त मे अमलता neutral हो गई ! तो heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ?????

आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए ! और अगर आ गया है ! तो दुबारा न आए !!
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सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज है वह है लोकी !! जिसे दुदी भी कहते है !! english मे इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!

स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों !
3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है !

वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए है ! और वो इतने हरामखोर है आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी का रस पियो !!

तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है रकत की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस का सेवन करे !!

कितना करे ?????????
रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!

कब पिये ??

सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!
या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !!
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इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो
तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!!

तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
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कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!

Monday, 17 February 2014

OM


तुलसी, holly tulsi

तुलसी में गजब की रोगनाशक शक्ति है। विशेषकर सर्दी, खांसी व बुखार में यह अचूक दवा का काम करती है। इसीलिए भारतीय आयुर्वेद के सबसे प्रमुख ग्रंथ चरक संहिता में कहा गया है।

- तुलसी हिचकी, खांसी,जहर का प्रभाव व पसली का दर्द मिटाने वाली है। इससे पित्त की वृद्धि और दूषित वायु खत्म होती है। यह दूर्गंध भी दूर करती है।

- तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली दिल के लिए लाभकारी, त्वचा रोगों में फायदेमंद, पाचन शक्ति बढ़ाने वाली और मूत्र से संबंधित बीमारियों को मिटाने वाली है। यह कफ और वात 
से संबंधित बीमारियों को भी ठीक करती है।

- तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली कफ, खांसी, हिचकी, उल्टी, कृमि, दुर्गंध, हर तरह के दर्द, कोढ़ और आंखों की बीमारी में लाभकारी है। तुलसी को भगवान के प्रसाद में रखकर ग्रहण करने की भी परंपरा है, ताकि यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही शरीर के अंदर पहुंचे और शरीर में किसी तरह की आंतरिक समस्या पैदा हो रही हो तो उसे खत्म कर दे। शरीर में किसी भी तरह के दूषित तत्व के एकत्र हो जाने पर तुलसी सबसे बेहतरीन दवा के रूप में काम करती है। सबसे बड़ा फायदा ये कि इसे खाने से कोई रिएक्शन नहीं होता है।

तुलसी की मुख्य जातियां- तुलसी की मुख्यत: दो प्रजातियां अधिकांश घरों में लगाई जाती हैं। इन्हें रामा और श्यामा कहा जाता है।

- रामा के पत्तों का रंग हल्का होता है। इसलिए इसे गौरी कहा जाता है।

- श्यामा तुलसी के पत्तों का रंग काला होता है। इसमें कफनाशक गुण होते हैं। यही कारण है कि इसे दवा के रूप में अधिक उपयोग में लाया जाता है।

- तुलसी की एक जाति वन तुलसी भी होती है। इसमें जबरदस्त जहरनाशक प्रभाव पाया जाता है, लेकिन इसे घरों में बहुत कम लगाया जाता है। आंखों के रोग, कोढ़ और प्रसव में परेशानी जैसी समस्याओं में यह रामबाण दवा है।

- एक अन्य जाति मरूवक है, जो कम ही पाई जाती है। राजमार्तण्ड ग्रंथ के अनुसार किसी भी तरह का घाव हो जाने पर इसका रस बेहतरीन दवा की तरह काम करता है।

मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी - मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी, जैसे मलेरिया में तुलसी एक कारगर औषधि है। तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पीने से मलेरिया जल्दी ठीक हो जाता है। जुकाम के कारण आने वाले बुखार में भी तुलसी के पत्तों के रस का सेवन करना चाहिए। इससे बुखार में आराम मिलता है। शरीर टूट रहा हो या जब लग रहा हो कि बुखार आने वाला है तो पुदीने का रस और तुलसी का रस बराबर मात्रा में मिलाकर थोड़ा गुड़ डालकर सेवन करें, आराम मिलेगा।

- साधारण खांसी में तुलसी के पत्तों और अडूसा के पत्तों को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से बहुत जल्दी लाभ होता है।

- तुलसी व अदरक का रस बराबर मात्रा में मिलाकर लेने से खांसी में बहुत जल्दी आराम मिलता है।

- तुलसी के रस में मुलहटी व थोड़ा-सा शहद मिलाकर लेने से खांसी की परेशानी दूर हो जाती है।

- चार-पांच लौंग भूनकर तुलसी के पत्तों के रस में मिलाकर लेने से खांसी में तुरंत लाभ होता है।

- शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ पीसकर नि:संतान महिला को खिलाया जाए तो जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।

- किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है।
- फ्लू रोग में तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है।

- तुलसी थकान मिटाने वाली एक औषधि है। बहुत थकान होने पर तुलसी की पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है।

- प्रतिदिन 4- 5 बार तुलसी की 6-8 पत्तियों को चबाने से कुछ ही दिनों में माइग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है।

- तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है। इससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है।

- तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है।

- तुलसी के पत्तों को तांबे के पानी से भरे बर्तन में डालें। कम से कम एक-सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा रहने दें। यह पानी पीने से कई बीमारियां पास नहीं आतीं।

- दिल की बीमारी में यह अमृत है। यह खून में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है। दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों को तुलसी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।

गाजर के गुणों

गाजर के गुणों का मुकाबला शायद ही कोई अन्य सब्जी कर सकती है। इसे सलाद के रूप में कच्चा भी खाया जा सकता है, पका कर इसकी सब्जी भी बनाई जा सकती है तथा रस निकाल कर इसका जूस भी पिया जा सकता है।

आयुर्वेद के अनुसार गाजर एक फल अथवा सब्जी ही नहीं, अपितु रक्तपित्त तथा कफ को नष्ट करने वाली मीठी, रस से भरी, पेट की अग्नि को बढ़ाने वाली तथा बवासीर जैसे रोग को रोकने वाली जड़ी-बूटी भी है।

गाजर हृदय संबंधी बीमारियों में भी बहुत लाभकारी होती है। यह वीर्य विकार नष्ट करती है तथा शारीरिक कमजोरी में लाभप्रद है।

चूँकि इसमें रक्त अवरोधक शक्ति होती है इसलिए यह रक्तपित्त को बनने नहीं देती।

वैसे इसकी तासीर ठंडी होती है लेकिन यह कफनाशक है। गाजर लौंग तथा अदरक की ही तरह छाती तथा गले में जमे कफ को पिघलाकर निकालने में सक्षम है।

गाजर में कुछ इस प्रकार के खनिज लवण पाए जाते हैं। जो शक्ति को बढ़ाने तथा रोगों को रोकने में बहुत ही आवश्यक होते हैं। शरीर के भीतर ये लवण खून में मिलकर विकार पनपने से रोकते हैं तथा प्रत्येक तंतु एवं प्रत्येक ग्रंथि को स्वस्थ रखते हैं।

साधारण '' कारगर '' नुस्खे

- पके हुए केले को अच्छी तरह से मैश करें और चेहरे पर फेसपैक की तरह लगाएं। करीब 15 मिनट बाद धो लें। ऐसा करने से चेहरे की त्वचा में निखार आता है।

- दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू के रस का मिश्रण त्वचा पर लगाएं। करीब 20 मिनिट बाद इसे साफ कर लें, त्वचा नर्म और मुलायम हो जाएगी।

- एलोवेरा की पत्तियों से जेल निकालकर इसमें कुछ बूंदें नींबू रस की मिलाएं। इस मिश्रण को चेहरे पर लगाने से चेहरा चमकने लगता है।

- बादाम का तेल और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर चेहरे पर लगाएं। थोड़ी देर रखने के बाद चेहरा धो लें। ऐसा करने से चेहरा निखर जाता है।

- व्हीट-ग्रास का जूस सुबह खाली पेट पीने से चेहरे की लालिमा बढ़ती है और खून भी साफ होता है।

- काली कोहनियों को साफ करने के लिए नींबू को दो भागों में काटें। उस पर खाने वाला सोडा डालकर कोहनियों पर रगड़ें। मैल साफ हो जाएगा, कोहनियां मुलायम हो जाएंगी।

- बालों में मेथी दाने का पेस्ट बनाकर लगाएं, रूसी दूर हो जाएगी।

- अरण्डी के तेल को नाखूनों की सतह पर कुछ देर हल्के हल्के मालिश करें। रोजाना सोने से पहले ऐसा करने से नाखूनों में चमक आ जाती है।

- एक चौथाई चम्मच मेथी दाना को पानी के साथ निगलने से अपचन की समस्या दूर होती है।

- मेथी के बीज आर्थराइटिस और साईटिका के दर्द से निजात दिलाने में मदद करते हैं। करीब 1 ग्राम मेथी दाना पाउडर और सोंठ पाउडर को मिलाकर गर्म पानी के साथ दिन में दो-तीन बार लेने से लाभ होता है।

- बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ व मिश्री तीनों को समान मात्रा में मिला लें। रोज इस मिश्रण को एक चम्मच मात्रा में एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें।आंखों की प्रॉब्लम्स दूर हो जाएंगी

- समान मात्रा में लेकर अजवाइन और जीरा को एक साथ भून लें। इस मिश्रण को पानी में उबाल कर छान लें। इस छने हुए पानी में चीनी मिलाकर पिएं, एसिडिटी से राहत मिलेगी।

- धनिया, जीरा और चीनी तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से एसिडिटी के कारण होने वाली जलन शांत हो जाती है।

- दूध की मलाई और पिसी मिश्री मिलाकर खाने से कमजोरी दूर होती है।

- सफेद मूसली का एक चम्मच चूर्ण और एक चम्मच पिसी मिश्री मिलाकर। सुबह और रात को सोने से पहले गुनगुने दूध के साथ एक चम्मच मात्रा में लेने से कमजोरी दूर हो जाती है।

- रोजाना सुबह एक से दो लहसुन की साबूत कलियां पानी से निगल लेने पर जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

- लहसुन की सिर्फ दो कलियों का रोजाना सेवन करने से आपके शरीर से बेड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम कर देता है।

- लहसुन की दो कलियों को छील छीलकर चबाया जाए तो ब्लडप्रेशर कंट्रोल में रहता है।

- संतरे के छिलकों का महीन चूर्ण बनाकर उसमें गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाएं, मुहांसे दूर हो जाते हैं।

- एक गिलास गुनगुने पानी में दो छोटे चम्मच नींबू का रस मिलाकर लें। यह काम दिन में 8-10 बार करें। अर्थराइटिस के दर्द में आराम मिलेगा।

-आधा चम्मच मेथी का चूर्ण दही में मिलाकर सेवन करने से पेचिश दूर होती है।

- मेथी के पत्तों के रस में काली दाख मिलाकर सेवन करने से भी पेचिश दूर होता है।

- 1/2 चम्मच चिरौंजी को 2 चम्मच दूध में पीसकर पेस्ट बनाकर लगाएं, इससे चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं।

- सफेद जीरे को घी में भूनकर इसका हलुवा बनाकर प्रसुता को खिलाने से दूध में बढ़ोतरी होती है।

- बहुत तेज सिरदर्द हो तो पुदीना का तेल हल्के हाथों से सिर पर लगाएं, सिरदर्द से राहत मिलेगी।

- दो-चार लौंग पीसकर उसका सिर पर लेप लगाने से सिरदर्द में जल्द आराम मिलता है।

- नमक में दो बूंद लौंग का तेल डालकर उसे सिर पर लगाएं, सिरदर्द में बहुत जल्दी आराम मिलेगा।

- मुंह के छाले की समस्या परेशान कर रही हो तो दिन में कम से कम तीन बार कच्चे दूध से अच्छी तरह गरारे करें, छाले मिट जाएंगे।

- खाना पकाने बाद आस-पास 1 या 2 लौंग को बर्तनों के पास रख दें तो चीटियां कभी परेशान नहीं करेंगी।

- सुपारी को बारीक पीस लें। इसमें लगभग 5 बूंद नींबू का रस और थोड़ा सा काला या सेंधा नमक मिलाएं। प्रतिदिन इस चूर्ण से मंजन करें। दांत चमक जाएंगे।।

- कब्ज होने पर रात्रि में
सोते समय दस बारह मुनक्का दूध में उबाल कर खाएं और दूध पी लें।

- नारियल की गिरी में बादाम, अखरोट और मिश्री मिलाकर सेवन करने से याददाश्त बढ़ती है। नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर बालों में लगाने से रूसी से छुटकारा मिलता है।

- नींबू में नारियल तेल मिला कर लगाया जाए तो यह बालों का झड़ना रोक देता है। नींबू के रस को अरण्डी का तेल या जैतून का तेल मिला कर बालों की मसाज करें। फिर1 घंटे के बाद बाल धो लें।

- सुबह खाली पेट प्रतिदिन एक सेब खाने से सिरदर्द की समस्या से छुटकारा मिलता है।

- कीढ़ा लगे दांत में थोड़ा सा हींग भर देने से दांत व दाढ़ का दर्द दूर हो जाता है।

- त्रिफला चूर्ण चार ग्राम (एक चम्मच भर) को 200 ग्राम हल्के गर्म दूध या गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होता है।

- प्याज के बीजों को सिरका में पीसकर दाद-खाज और खुजली वाले स्थान पर लगाने से तुरंत आराम मिलताहै।

- सौंफ ,जीरा और धनियां सब 1-1 चम्मच लेकर 1 गिलास पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। आधा गिलास पानी बच जाने पर उसमें एक चम्मच गाय का घी मिलाएं। सुबह-शाम पिएं खूनी बावासीर से रक्त गिरना बंद हो जाता है।

- बुखार की वजह से जलन होने पर पलाश के पत्तों का रस लगाने से जलन का असर कम हो जाता है।

- जीरे को मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।

- करी पत्तों को सुबह खाली पेट खाएं। तीन महीनों तक नियमित रूप से ये प्रयोग करने पर डायबिटीज कंट्रोल में रहती है और मोटापा घटने लगता है।

- सेव काटकर टुकड़े तैयार कर लें। इन टुकड़ों को कप या छोटी कटोरी में डालकर कार की सीट्स के नीचे पलोर पर रख दें। एक दो दिन में ये टुकड़े सिकुड़ जाएंगे। एक बार फिर यही प्रक्रिया दोहराएं, धीरे- धीरे गंध दूर हो जाएगी।

- नींबू के रस में थोड़ी चीनी मिलाकर इसे गर्म कर सिरप बना लें। इसमें थोड़ा पानी मिलाकर पीएं। पित्त के लिए यह अचूक औषधि है।

Saturday, 15 February 2014

महौषधि सौंठ

सौंठ में अदरक के सारे गुण मौजूद होते हैं। सौंठ दुनिया की सर्वश्रेष्ठवातनाशक औषधि है. आम का रस पेट में गैस न करें इसलिए उसमें सौंठ और घी डाला जाता है। सौंठ में उदरवातहर (वायुनाशक) गुण होने से यह विरेचन औषधियों के साथ मिलाई जाती है। यह शरीर में समत्व स्थापित कर जीवनी शक्ति और रोग प्रतिरोधक सामर्थ्य को बढ़ाती है ।
बहुधा सौंठ तैयार करने से पूर्व अदरख को छीलकर सुखा लिया जाता है । परंतु उस छीलन में सर्वाधिक उपयोगी तेल (इसेन्शयल ऑइल) होता है, छिली सौंठ इसी कारण औषधीय गुणवत्ता की दृष्टि से घटिया मानी जाती है । वेल्थ ऑफ इण्डिया ग्रंथ के विद्वान् लेखक गणों का अभिमत है कि अदरक को स्वाभाविक रूप में सुखाकर ही सौंठ की तरह प्रयुक्त करना चाहिए । तेज धूप में सुखाई गई अदरक उस सौंठ से अधिक गुणकारी है जो बंद स्थान में कृत्रिम गर्मी से सुखाकर तैयार की जाती है ।
गर्म प्रकृति वाले लोगो के लिए सौंठ अनुकूल नहीं है.
- भोजन से पहले अदरक को चिप्स की तरह बारीक कतर लें। इन चिप्स पर पिसा काला नमक बुरक कर खूब चबा-चबाकर खा लें फिर भोजन करें। इससे अपच दूर होती है, पेट हलका रहता है और भूख खुलती है।
- सौंठ और उड़द उबालकर इसका पानी पीने से लकवा ठीक हो जाता है |
- सौंठ मिलाकर उबाला हुआ पानी पीने से पुराना जुकाम खत्म होता है। सौंठ के टुकड़े को रोजाना बदलते रहना चाहिए।
- सोंठ, पीपल और कालीमिर्च को बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें 1 चुटकी त्रिकुटा को शहद के साथ चाटने से जुकाम में आराम आता है।
- सौंठ, सज्जीखार और हींग का चूर्ण गर्म पानी के साथ सेवन करने से सारे तरह के दर्द नष्ट हो जाते हैं।
- सौंठ और जायफल को पीसकर पानी में अच्छी तरह मिलाकर छोटे बच्चों को पिलाने से दस्त में आराम मिलता है।
- सौंठ, जीरा और सेंधानमक का चूर्ण ताजा दही के मट्ठे में मिलाकर भोजन के बाद सेवन करने से पुराने अतिसार (दस्त) का मल बंधता है। आम (कच्ची ऑव) कम होता है और भोजन का पाचन होता है।
- सौंठ को पानी या दूध में घिसकर नाक से सूंघने से और लेप करने से आधे सिर के दर्द में लाभ होता है।
- लगभग 12 ग्राम की मात्रा में सौंठ को गुड़ के साथ मिलाकर खाने से शरीर की सूजन खत्म हो जाती है।
- सोंठ, कालीमिर्च और हल्दी का अलग-अलग चूर्ण बना लें। प्रत्येक का 4-4 चम्मच चूर्ण लेकर मिला लें और इसे कार्क की शीशी में भरकर रख लें। इसे 2 ग्राम (आधा चम्मच) गर्म पानी के साथ दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए। इससे श्वासनली की सूजन और दर्द में लाभ मिलता है। ब्रोंकाइटिस के अतिरक्त यह खांसी, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द और हिपशूल में लाभकारी होता है। इसे आवश्यकतानुसार एक हफ्ते तक लेना चाहिए। पूर्ण रूप से लाभ न होने पर इसे 4-5 बार ले सकते हैं।
सोंठ और कायफल के मिश्रित योग से बनाए गये काढे़ का सेवन करने से वायु प्रणाली की सूजन में लाभ मिलता है।
- सोंठ, हरड़, बहेड़ा, आंवला और सरसों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करें। इससे रोजाना सुबह-शाम कुल्ला करने से मसूढ़ों की सूजन, पीव, खून और दांतों का हिलना बंद हो जाता है। सौंठ को गर्म पानी में पीसकर लेप बना लें। इससे रोजाना दांतों को मलने से दांतों में दर्द नहीं होता और मसूढे़ मजबूत होते हैं।
- सोंठ, मिर्च, पीपल, नागकेशर का चूर्ण घी के साथ माहवारी समाप्त होने के बाद स्त्री को सेवन कराने से गर्भ ठहर जाता है।
- महारास्नादि में सोंठ का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पीने और रोजाना रात को 2 चम्मच एरण्ड के तेल को दूध में मिलाकर सोने से पहले सेवन करने से अंगुलियों की कंपन की शिकायत दूर हो जाती है।
- यदि दिल कमजोर हो, धड़कन तेज या बहुत कम हो जाती हो, दिल बैठने लगता हो तो 1 चम्मच सोंठ को एक कप पानी में उबालकर उसका काढ़ा बना लें। यह काढ़ा रोज इस्तेमाल करने से लाभ होता है।
- 10 ग्राम सोंठ और 10 ग्राम अजवायन को 200 मिलीलीटर सरसों के तेल में डालकर आग पर गर्म करें। सोंठ और अजवायन भुनकर जब लाल हो जाए तो तेल को आग से उतार लें। यह तेल सुबह-शाम दोनों घुटनों पर मलने से रोगी के घुटनों का दर्द दूर हो जाता है। 10 ग्राम सोंठ, 10 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम बायविडंग और 5 ग्राम सेंधानमक को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को एक छोटी बोतल में भर लें, फिर इस चूर्ण में आधा चम्मच शहद मिलाकर चाटने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
- 6 ग्राम पिसी हुई सोंठ में 1 ग्राम नमक मिलाकर गर्म पानी से फंकी लेने से पित्त की पथरी में फायदा होता है।
- सोंठ, गुग्गुल तथा गुड़ को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सोते समय पीने से मासिक-धर्म सम्बन्धी परेशानी दूर हो जाती हैं।
50 ग्राम सोंठ, 25 ग्राम गुड़ और 5 ग्राम बायविडंग को कुचलकर 2 कप पानी में उबालें। जब एक कप बचा रह जाए तो उसे पी लेना चाहिए। इससे मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
- गुड़ के साथ 10 ग्राम सोंठ खाने से पीलिया का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

- बुढ़ापे में पाचन क्रिया कमजोर पड़ने लगती है. वात और कफ का प्रकोप बढ़ने लगता है. हाथो पैरो तथा शारीर के समस्त जोड़ो में दर्द रहने लगता है. सौंठ मिला हुआ दूध पीने से बुढ़ापे के रोगों से राहत मिलती है.

हल्दी वाला दूध

- रात को सोते समय देशी गाय के गर्म दूध में एक चम्मच देशी गाय का घी और चुटकी भर हल्दी डालें . चम्मच से खूब मिलाकर कर खड़े खड़े पियें. - इससे त्रिदोष शांत होते है.

- संधिवात यानी अर्थ्राईटिस में बहुत लाभकारी है. - किसी भी प्रकार के ज्वर की स्थिति में , सर्दी खांसी में लाभकारी है.

- हल्दी एंटी माइक्रोबियल है इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है. यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करती है.

- वजन घटाने में फायदेमंद गर्म दूध के साथ हल्दी के सेवन से शरीर में जमा चर्बी घटती है. इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल्स सेहतमंद तरीके से वजन घटाने में सहायक हैं।

- अच्छी नींद के लिए हल्दी में अमीनो एसिड है इसलिए दूध के साथ इसके सेवन के बाद नींद गहरी आती है.अनिद्रा की दिक्कत हो तो सोने से आधे घंटे पहले गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन करें.

- दर्द से आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया से लेकर कान दर्द जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है. इससे शरीर का रक्त संचार बढ़ जाता है जिससे दर्द में तेजी से आराम होता है.

- खून और लिवर की सफाई आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल शोधन क्रिया में किया जाता है। यह खून से टॉक्सिन्स दूर करता है और लिवर को साफ करता है. पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम के लिए इसका सेवन फायदेमंद है.

- पीरियड्स में आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से पीरियड्स में पड़ने वाले क्रैंप्स से बचाव होता है और यह मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा दिलाता है.

- मजबूत हड्डियां दूध में कैल्शियम अच्छी मात्रा में होता है और हल्दी में एंटीऑक्सीडेट्स भरपूर होते हैं

गले में खराश के घरेलू नुस्खे

सर्दियों के मौसम में सर्दी-जुकाम व गले में खराश होना एक आम बात है। सर्दी-जुकाम होने से पहले आपके गले में दर्द व खराश जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। लंबे समय तक गले में खराश होना काफी तकलीफदेह हो जाता है साथ ही यह आपके गले को भी जाम कर देता है। गले मे होने वाली खराश अन्य बीमारियों की तरह लंबे समय तक नही रहती लेकिन कुछ ही दिनों में यह आपको पूरी तरह से प्रभावित कर बीमार कर देती हैं।

क्या है गले की खराश
गले में खराश एक बहुत ही सामान्य श्वसन समस्या है। यह मूल रूप से तब होती है जब गले की नाजुक अंदरूनी परत वायरस/ बैक्टीरिया से संक्रमित होती है, जिसके परिणामस्वरूप सूजन, स्राव खांसी और शरीर के सामान्य संक्रमण के प्रभाव के लक्षण होते हैं। कभी-कभी लंबे समय तक गले में रहने वाली खराश किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और पूरी चिकित्सा लें।

आमतौर पर गले की खराश का कारण वायरल होता है और यह कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन यह जितने दिन रहता है काफी कष्ट देता है। जानिए गले की खराश को दूर करने के लिए कुछ घरेलू नुस्खों के बारे में-

हर 2 घंटे गर्म पानी में नमक डालकार गरारा करें क्योंकि गर्म पानी और नमक गले में ठंडक देते हें, एंटीसेप्टिक होने के नाते यह संक्रमण को कम करने में मदद करता है।
रात को सोते समय दूध और आधा पानी मिलाकर पिएं।
रूखा भोजन, सुपारी, खटाई, मछली, उड़द इन चीजों से परहेज करें।
1 कप पानी में 4-5 कालीमिर्च एवं तुलसी की 5 पत्तियों को उबालकर काढ़ा बना लें और इसे धीरे-धीरे चुसकी लेकर पिएं।
ज्यादा तैलीय व मैदे से बनी चीजों का सेवन करने से बचें।
गले में खराश होने पर जब भी प्यास लगें तो गुनगुना पानी ही पिएं।

कालीमिर्च को 2 बादाम के साथ पीसकर सेवन करने से गले के रोग दूर हो सकते हैं।
शरीर में टॉक्सिन की मौजूदगी गले की खराश को और बढ़ा देती है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करें, ताकि टॉक्सिन शरीर से बाहर निकल सकें।
अदरक की चाय भी गले की खराश में बहुत लाभदायक है।
दो-तीन लौंग के साथ एक-दो लहसुन की कलियों को पीस कर पेस्ट बना लें इसमें थोड़ा सा शहद मिला लें। इस मिश्रण को दिन में दो या तीन बार लें।
दूध में थोड़ी सी हल्दी डालकर इसे उबाल लें और बिस्तर पर जाने से पहले इसे पीएं। हल्दी में एंटीस्पेटिक होने की वजह से यह गले में आराम पहुंचाएंगा।

"संतरे की रसीली बातें"

विटामिन सी से भरपूर संतरा पोषकीय तत्वों और रोग निवारक क्षमताओं से युक्त एक अत्यंत उपयोगी फल है नींबू परिवार का..
- एक सामान्य आकार के संतरे में पाए जाने वाले तत्वों का विवरण इस प्रकार है। प्रोटीन-0.25 ग्राम, कार्बोज 2.69 ग्राम, वसा 0.03 ग्राम, कैल्शियम 0.045 प्रतिशत, फास्फोरस 0.021 प्रतिशत, लोहा 5.2 प्रतिशत, तांबा 0.8 प्रतिशत।
- संतरे की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि इसका रस शरीर के अंदर पहुंचते ही रक्त में रोग निवारणीय कार्य प्रारंभ हो जाता है। इसमें पाए जाने वाले ग्लूकोज एवं डेक्सट्रोज जैसे जीवनशक्ति प्रदान करने वाले तत्व पचकर शक्तिवर्धन का कार्य करने लगते हैं। इसका रस अत्यंत दुर्बल व्यक्ति को भी दिया जा सकता है।
- संतरे में पाये जाने वाले उपयोगी तत्वों के कारण यह अनेक शारीरिक रोगों से मुक्ति दिलाता है।

- मितली और उल्टी में संतरे के रस में थोड़ी सी काली मिर्च और काला नमक मिलाकर लिया जाना लाभकारी रहता है।

- रक्तस्राव, मानसिक तनाव, दिल और दिमाग की गर्मी में इसकी विशेष उपयोगिता है।

- कब्जियत होने पर संतरे के रस का शर्बत और शिकंजी के साथ काला नमक, काली मिर्च और भुना जीरा मिलाकर लेना लाभकारी रहता है।

- संतरे में लहसुन, धनिया, अदरख मिलाकर चटनी खाने से पेट के रोगों में लाभ मिलता है।

- बुखार के रोगी को और पाचन विकार में संतरे के रस को हल्का गर्म करके उसमें काला नमक और सोंठ का चूर्ण मिलाकर प्रयोग करना लाभकारी रहता है।

- संतरे और मुनक्के का मिश्रण लेने से आंव और पेट के मरोड़ से मुक्ति मिल जाती है।

- सर्दी-जुकाम या इनफ्लुएंजा में एक सप्ताह एक गुनगुना संतरे का रस काली मिर्च और पीपली का चूर्ण मिलाकर लेना लाभकारी रहता है।

- मुंहासे होने पर संतरे के रस का सेवन तथा उसके छिलके में हल्दी मिलाकर लेप लगाना लाभकारी रहता है।

- चेहरे के सौंदर्य को निखारने के लिए हल्दी, चंदन, बेसन और संतरे के छिलके का चूर्ण दूध या मलाई में मिलाकर लगाएं

Thursday, 13 February 2014

BANANA AND APPLE


kidney cleansing with coriander, hara dhaniya

The kidneys are the most important excretory organs within the human body. The word excretion means the removal of waste substances from the body. Metabolism produces a large variety of substances in addition to energy. This "metabolic waste" is the large number of chemical reactions that occur in the cells, tissues and organs. Of these substances some of the by-products and end-products of metabolism are toxic. Therefore they will have to be removed, before they will poison the body tissues. The wastes that are eliminated are "excretory" products. Kidneys play a major role in this task.

Kidney filters the blood by removing salt, poison and any unwanted entering our body. But with time, the salt accumulates and this needs to undergo cleaning treatments and there are some simple home recipes that can help in this cleansing process.

Parsley (Cilantro) is known as best cleaning treatment for kidneys and it is natural!
Take a bunch of parsley or Cilantro ( Coriander Leaves ) and wash it clean Then cut it in small pieces and put it in a pot and pour clean water and boil it for ten minutes and let it cool down and then filter it and pour in a clean bottle and keep it inside refrigerator to cool. Drink one glass daily and you will notice all salt and other accumulated poison coming out of your kidney by urination also you will be able to notice the difference which you never felt before. - See more at: http://www.naturalhealthcareguide.com/2014/01/kidney-cleansing-cilantro.html#sthash.x05yrIsm.dpuf

पीपल (पिप्पली)

पीपल (पिप्पली)
जैसे हरड़-बहेड़ा-आंवला को त्रिफला कहा जाता है, वैसे ही सोंठ-पीपल-काली मिर्च को 'त्रिकटु' कहा जाता है। इस त्रिकटु के एक द्रव्य 'पीपल' की जानकारी इस प्रकार है।

पीपल को पीपर भी कहते हैं, यह छोटी और बड़ी दो प्रकार की होती है, जिनमें से छोटी ज्यादा गुणकारी होती है और यही ज्यादातर प्रयोग में ली जाती है।

विभिन्न भाषाओं में नाम : संस्कृत- पिप्पली। हिन्दी- पीपर, पीपल। मराठी- पिपल। गुजराती- पीपर। बंगला- पिपुल। तेलुगू- पिप्पलु, तिप्पली। फारसी- फिलफिल। इंग्लिश- लांग पीपर। लैटिन- पाइपर लांगम।

गुण : यह पाचक अग्नि बढ़ाने वाली, वृष्य, पाक होने पर मधुर रसयुक्त, रसायन, तनिक उष्ण, कटु रसयुक्त, स्निग्ध, वात तथा कफ नाशक, लघु पाकी और रेचक (मल निकालने वाली) है तथा श्वास रोग, कास (खांसी), उदर रोग, ज्वर, कुष्ठ, प्रमेह, गुल्म, बवासीर, प्लीहा, शूल और आमवात नाशक है।

कच्ची अवस्था में यह कफकारी, स्निग्ध, शीतल, मधुर, भारी और पित्तशामक होती है, लेकिन सूखी पीपर पित्त को कुपित करती है। शहद के साथ लेने पर यह मेद, कफ, श्वास, कास और ज्वर का नाश करने वाली होती है। ग़ुड के साथ लेने पर यह जीर्ण ज्वर (पुराना बुखार) और अग्निमांद्य में लाभ करती है तथा खांसी, अजीर्ण, अरुचि, श्वास, हृदय रोग, पाण्डु रोग और कृमि को दूर करने वाली होती है। पीपल के चूर्ण की मात्रा से ग़ुड की मात्रा दोगुनी रखनी चाहिए।

रासायनिक संघटन : इसमें सुगन्धित तेल (0.7%), पाइपरीन (4-5%) तथा पिपलार्टिन नामक क्षाराभ पाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त दो नए तरल क्षाराभों का भी इसमें पता चला है, जिनके नाम सिसेमिन और पिपलास्टिरॉल हैं। पीपर की जड़ (पीपला मूल) में पाइपरिन (0.15-0.18%), पिपलार्टिन (0.13-0.20%), पाइपरलौंगुमिनिन, एक स्टिरायड तथा ग्लाइकोसाइड पाए जाते हैं।

खाँसी की आयुर्वेदिक चिकित्सा

खाँसी कोई रोग नहीं होता। यह गले में हो रही खराश और उत्तेजना की सहज प्रतिक्रिया होती है। असल में खाँसी गले और सांस की नलियों को खुला रखने के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है, पर हद से ज़्यादा होनेवाली खाँसी किसी नकिसी बीमारी या रोग से जुड़ी होती है। कुछ खाँसी सूखी होती हैं, और कुछ बलगम वाली।

खाँसी तीव्र या पुरानी होती है:
तीव्र खाँसी अचानक शुरू हो जाती हैं, और सर्दी-ज़ुकाम, फ्लू या सायनस के संक्रमण के कारण होती है। यह आम तौर से दो या तीन हफ़्तों में ठीक हो जाती है।
पुरानी या दीर्घकालीन खाँसी दो तीन हफ़्तों से ज़्यादा जारी रहती है।

खाँसी के घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार
375 मिलीग्राम फुलाया हुआ सुहागा शहद के साथ रात्री में लेने से या मुनक्के और मिश्री को मुहं में रखकर चूसने से खाँसी में लाभ मिलता है।
1 ग्राम हल्दी के पाउडर को एक चम्मच शहद में मिलाकर लेने से भी सूखी खाँसी में लाभ मिलता है।
आधा तोला अनार की सूखी छाल बारीक कूटकर, छानकर उसमे थोडा सा कपूर मिलायें। यह चूर्ण दिन में दो बार पानी के साथ मिलाकर पीने से भयंकर और कष्टदायक खाँसी मिटती है।
सौंफ और मिश्री का चूर्ण मुहं में रखने से रह रह कर होनेवाली गर्मी की खाँसी मिट जाती है।
सूखी खाँसी के उपचार के लिए एक छोटे से अदरक के टुकड़े को छील लें और उसपर थोड़ा सा नमक छिड़क कर उसे चूस लें।
2 ग्राम काली मिर्च और 1-1/2 ग्राम मिश्री का चूर्ण या शितोपलादी चूर्ण 1-1ग्राम दिन में 3 बार शहद के साथ चाटने से खाँसी में लाभ होता है।
नींबू के रस में 2 चम्मच ग्लिसरीन और 2 चम्मच शहद मिलाकर मिश्रण बना लें, और रोजाना इस मिश्रण का 1 चम्मच सेवन करने से खाँसी से काफी रहत मिलेगी।
मेहंदी के पत्तों के काढ़े से गरारे करना लाभदायक सिद्ध होता है।
अदरक की चाय का सेवन करने से भी खाँसी ठीक होने में लाभ मिलता है।
लंबे समय तक इलायची चबाने से भी खाँसी से राहत मिलती है।
लौंग के प्रयोग से भी खाँसी की उत्तेजना से काफी आराम मिलता है।
लौंग का तेल, अदरक और लहसून का मिश्रण बार बार होने वाली ऐसी खांसी से राहत दिलाता है जो कि तपेदिक, अस्थमा और ब्रौन्काइटिस के कारण उत्पन्न होती है। यह मिश्रण हर रात को सोने से पहले लें।
तुलसी के पत्तों का सार, अदरक और शहद मिलाकर एक मिश्रण बना लें, और ऐसी गंभीर खाँसी के उपचार के लिए लें जो कि तपेदिक और ब्रौन्काइटिस जैसी बीमारियों के कारण शुरू हुई है।
सीने में बलगम के जमाव को निष्काषित करने के लिए अंजीर बहुत ही उपयोगी होते हैं, और खाँसी को मिटाने में काफी सहायक सिद्ध होते हैं।
अदरक को पानी में 10-15 मिनट के लिए उबाल लें और उसमें एक दो चम्मच शुद्ध शहद मिलकर दिन में तीन चार बार पीये। ऐसा करने से आपका बलगम बाहर निकलता रहेगा और आपको खांसी में लाभ पहुंचेगा।

खान पान और आहार
ठंडे खान पान के सेवन से बचें क्योंकि इससे आपके गले की उत्तेजना और अधिक उग्र हो सकती है। और किसी भी तरल पदार्थ को पीने से पहले गर्म ज़रूर करें।
खान पान में पुराने चावल का प्रयोग करें।
ऐसे खान पान का सेवन बिलकुल ना करें जिससे शरीर को ठंडक पहुँचे। खीरे, हरे केले, तरबूज, पपीता और संतरों के सेवन को थोड़े दिनों के लिए त्याग दें।

मक्की के फायदे

मक्की के फायदे

ताजे दूधिया मक्का के दाने पीसकर शीशी में भरकर खुली हुई शीशी धूप में रखें। दूध सूख कर उड़ जाएगा और तेल शीशी में रह जाएगा। छान कर तेल को शीशी में भर लें और मालिश किया करें। दुर्बल बच्चों के पैरों पर मालिश करने से बच्चा जल्दी चलेगा। एक चम्मच तेल शर्बत में मिलाकर पीने से बल बढ़ता है।
भुट्टा जलाकर उसकी राख पीस लें। इसमें स्वादानुसार सेंधा नमक मिला लें। नित्य चार बार चौथाई चम्मच गर्म पानी से फं की लें खांसी में लाभ होगा।
ताजा मक्का के भुट्टे पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन गुर्दों की कमजोरी दूर हो जाती है।
मक्का के भुट्टे जलाकर राख कर लें। जौ जलाकर राख कर लें। दोनों को अलग-अलग पीस कर अलग-अलग शीशियों में भरकर उन शीशियों पर नाम लिख दें। एक कप पानी में दो चम्मच मक्का की राख घोलें फि र छानकर इस पानी को पी लें।
इससे पथरी गलती है पेशाब साफ आता है। जिसे टीबी का पूर्वरूप हो उसे मक्का की रोटी खानी चाहिए।
गरमा-गरम भुट्टे और उसके विविध व्यंजन खाने का एक अलग ही मजा है। भुट्टा ग्रेमिनी कुल का एक प्रसिद्ध धान्य है।
आयुर्वेद के अनुसार कच्ची मक्का का भुट्टा तृप्तिदायक वातकारक कफ पित्त नाशक मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है।
भुट्टे में पौष्टिक तत्व कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें मुख्य रूप से प्रोटीन होता है। हालांकि इस प्रोटीन को अपूर्ण प्रोटीन माना गया है । सौ ग्राम भुट्टे के दानों से काफी कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। भुट्टे के 100 ग्राम दानों ;कच्ची मक्का में काफी पोषक तत्वों की मात्रा खनिज एवं विटामिन पाए जाते हैं।
औषधीय गुण
’ मक्का के ताजे दानों को पानी में अच्छी तरह से उबालकर उस पानी को छानकर शहद या मिश्री मिलाकर सेवन करने से गुर्दों की कमजोरी दूर होती है।
’ मक्का के दाने भूनकर खाने से पाचन तंत्र के रोग दूर होते हैं।
’ भूना हुआ भुट्टा खाने से दांत एवं दाढ़ मजबूत होते हैं तथा ये दाने लार बनाने में भी सहायक हैं जिससे मुख व दांतों की दुर्गंध भी दूर होती है।

Photo: मक्की के फायदे

ताजे दूधिया मक्का के दाने पीसकर शीशी में भरकर खुली हुई शीशी धूप में रखें। दूध सूख कर उड़ जाएगा और तेल शीशी में रह जाएगा। छान कर तेल को शीशी में भर लें और मालिश किया करें। दुर्बल बच्चों के पैरों पर मालिश करने से बच्चा जल्दी चलेगा। एक चम्मच तेल शर्बत में मिलाकर पीने से बल बढ़ता है।
भुट्टा जलाकर उसकी राख पीस लें। इसमें स्वादानुसार सेंधा नमक मिला लें। नित्य चार बार चौथाई चम्मच गर्म पानी से फं की लें खांसी में लाभ होगा।
ताजा मक्का के भुट्टे पानी में उबालकर उस पानी को छानकर मिश्री मिलाकर पीने से पेशाब की जलन गुर्दों की कमजोरी दूर हो जाती है।
मक्का के भुट्टे जलाकर राख कर लें। जौ जलाकर राख कर लें। दोनों को अलग-अलग पीस कर अलग-अलग शीशियों में भरकर उन शीशियों पर नाम लिख दें। एक कप पानी में दो चम्मच मक्का की राख घोलें फि र छानकर इस पानी को पी लें।
इससे पथरी गलती है पेशाब साफ आता है। जिसे टीबी का पूर्वरूप हो उसे मक्का की रोटी खानी चाहिए।
गरमा-गरम भुट्टे और उसके विविध व्यंजन खाने का एक अलग ही मजा है। भुट्टा ग्रेमिनी कुल का एक प्रसिद्ध धान्य है।
आयुर्वेद के अनुसार कच्ची मक्का का भुट्टा तृप्तिदायक वातकारक कफ पित्त नाशक  मधुर और रुचि उत्पादक अनाज है।
भुट्टे में पौष्टिक तत्व कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें मुख्य रूप से प्रोटीन होता है। हालांकि इस प्रोटीन को अपूर्ण प्रोटीन माना गया है । सौ ग्राम भुट्टे के दानों से काफी कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। भुट्टे के 100 ग्राम दानों ;कच्ची मक्का में काफी पोषक तत्वों की मात्रा खनिज एवं विटामिन पाए जाते हैं।
औषधीय गुण
’ मक्का के ताजे दानों को पानी में अच्छी तरह से उबालकर उस पानी को छानकर शहद या मिश्री मिलाकर सेवन करने से गुर्दों की कमजोरी दूर होती है।
’ मक्का के दाने भूनकर खाने से पाचन तंत्र के रोग दूर होते हैं।
’ भूना हुआ भुट्टा खाने से दांत एवं दाढ़ मजबूत होते हैं तथा ये दाने लार बनाने में भी सहायक हैं जिससे मुख व दांतों की दुर्गंध भी दूर होती है।

अनार का जूस

अनार .............

* रोज एक गिलास अनार का जूस पीजिए। अनार का रस पेट पर जमी चर्बी तथा कमर पर टायर की तरह लटकते मांस को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।

* अपच : यदि आपको देर रात की पार्टी से अपच हो गया है तो पके अनार का रस चम्मच, आधा चम्मच सेंका हुआ जीरा पीसकर तथा गुड़ मिलाकर दिन में तीन बार लें।

* प्लीहा और यकृत की कमजोरी तथा पेटदर्द अनार खाने से ठीक हो जाते हैं।

* दस्त तथा पेचिश में : 15 ग्राम अनार के सूखे छिलके और दो लौंग लें। दोनों को एक गिलास पानी में उबालें। फिर पानी आधा रह जाए तो दिन में तीन बार लें। इससे दस्त तथा पेचिश में आराम होता है।

* अनार कब्ज दूर करता है, मीठा होने पर पाचन शक्ति बढ़ाता है। इसका शर्बत एसिडिटी को दूर करता है।

* अत्यधिक मासिक स्राव में : अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण एक चम्मच फाँकी सुबह-शाम पानी के साथ लेने से रक्त स्राव रुक जाता है।

* मुँह में दुर्गंध : मुँह में दुर्गंध आती हो तो अनार का छिलका उबालकर सुबह-शाम कुल्ला करें। इसके छिलकों को जलाकर मंजन करने से दाँत के रोग दूर होते हैं।

* अनार आपका मूड अच्छा करता है और साथ ही याददाश्त बढ़ाता है। तनाव से भी आपको निजात दिलाता है।

Sunday, 9 February 2014

आंवले के कुछ ऐसे ही पौष्टिक गुणों के बारे में......

आंवले को आयुर्वेद में गुणों की खान माना गया है। यह कई बीमारियों को दूर करता है। इसका अपना पौष्टिक महत्व भी है। संतरे से बीस गुना ज्यादा विटामिन सी इसमें पाया जाता हैं। आंवले को गूजबेरी के नाम से भी जाना जाता हैं। आंवले का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसे पकाने के बाद भी इसमें मौजूद विटामिन सी खत्म नहीं होता।आज हम आपको बताने जा रहे हैं आंवले के कुछ ऐसे ही पौष्टिक गुणों के बारे में......

-आंवला मोतियाबिंद की परेशानी में फायदेमंद रहता है।

- सुबह नाश्ते में आंवले का मुरब्बा खाने से आप स्वस्थ बने रह सकते हैं।

- आंवला हमारी आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।

- आंवला हमारे पाचन तन्त्र और हमारी किडनी को स्वस्थ रखता है।

- आंवला अर्थराइटिस के दर्द को कम करने में भी सहायक होता है।

- आंवला खाने से सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।

- दिल को सेहतमंद रखने के लिए रोजा आंवला खाने की आदत डालें। इससे आपके दिल की मांसपेशियां मजबूत होंगी।

- आंवला बालों को मजबूत बनाता है, इनकी जड़ों को मजबूत करता है और बालों का झडऩा भी काफी हद तक रोकता है।

- आंवला खाने से कब्ज दूर होती है। यह डायरिया जैसी परेशानियों को दूर करने में बहुत फायदेमंद है।

- एसीडिटी की समस्या है, तो एक ग्राम आंवला पाउडर और थोड़ी-सी चीनी को एक गिलास पानी या दूध में मिलाकर लें।

- आंवला खाने को अच्छी तरह पचाने में मदद करता है, जिससे आपको खाने के तमाम न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं
आंवले को आयुर्वेद में गुणों की खान माना गया है। यह कई बीमारियों को दूर करता है। इसका अपना पौष्टिक महत्व भी है। संतरे से बीस गुना ज्यादा विटामिन सी इसमें पाया जाता हैं। आंवले को गूजबेरी के नाम से भी जाना जाता हैं। आंवले का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसे पकाने के बाद भी इसमें मौजूद विटामिन सी खत्म नहीं होता।आज हम आपको बताने जा रहे हैं आंवले के कुछ ऐसे ही पौष्टिक गुणों के बारे में......

-आंवला मोतियाबिंद की परेशानी में फायदेमंद रहता है।

- सुबह नाश्ते में आंवले का मुरब्बा खाने से आप स्वस्थ बने रह सकते हैं।

- आंवला हमारी आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।

- आंवला हमारे पाचन तन्त्र और हमारी किडनी को स्वस्थ रखता है।

- आंवला अर्थराइटिस के दर्द को कम करने में भी सहायक होता है।

- आंवला खाने से सर्दी, खांसी, जुकाम जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है।

- दिल को सेहतमंद रखने के लिए रोजा आंवला खाने की आदत डालें। इससे आपके दिल की मांसपेशियां मजबूत होंगी।

- आंवला बालों को मजबूत बनाता है, इनकी जड़ों को मजबूत करता है और बालों का झडऩा भी काफी हद तक रोकता है।

- आंवला खाने से कब्ज दूर होती है। यह डायरिया जैसी परेशानियों को दूर करने में बहुत फायदेमंद है।

- एसीडिटी की समस्या है, तो एक ग्राम आंवला पाउडर और थोड़ी-सी चीनी को एक गिलास पानी या दूध में मिलाकर लें।

- आंवला खाने को अच्छी तरह पचाने में मदद करता है, जिससे आपको खाने के तमाम न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं

Saturday, 8 February 2014

DIFFERENT TYPE OF TEA

It’s about that time of year where we’re fed up of feeling the extra flab and ready to do something about it besides going to the gym. One of the most underrated methods of spiking our metabolism is through antioxidant rich teas. Some teas are actually more than 90% more effective at helping the body burn fat than coffee. While green tea has made most of the headlines in this regard, there are many others which are even more effective and go way beyond weight loss with the ability to detox, helptooth decay and even keep cancer at bay.

1) Star Anise Tea – Promotes Digestion 

10 Different Teas That Will Help Boost Your Metabolism and Promote Weight Loss
10 Different Teas That Will Help Boost Your Metabolism and Promote Weight Loss
Star anise, the fruit of a small evergreen tree (Illicium verum) native to China, can be used in the treatment of digestive troubles such an upset stomach, diarrhea, nausea etc. One may drink a tea made from it by steeping a whole pod in one cup of hot water for 10 minutes. Strain this and sweeten it if required. Sip on this slowly when an upset stomach occurs.
2) Porangaba tea – Assists In Fat Loss
10 Different Teas That Will Help Boost Your Metabolism and Promote Weight Loss
10 Different Teas That Will Help Boost Your Metabolism and Promote Weight Loss
The tea plant produces red fruit that resembles coffee beans. These plants grow in South America and are sold at most beach vendors in Brazil. Porangaba Tea is Brazil’s weight loss potion, containing caffeine, allantoin, allantoic acid and even potassium. It has been reported to aid in boosting weight loss, reducing appetite, acting as a diuretic and even reducing fatty deposits and cellulite. Porangaba also suppresses the appetite leading to less food intake minus the crash.The recommended dose is 1 tea bag 30 minutes sipping before every meal.

3) Peppermint Tea – Controls What You Eat 

10 Different Teas That Will Help Boost Your Metabolism and Promote Weight Loss
10 Different Teas That Will Help Boost Your Metabolism and Promote Weight Loss
Peppermint tea speeds up digestion and thus helps you burn more calories. The peppermint leaves can be used to make a light, refreshing tea, which can be taken either hot or chilled. To prepare the tea, take a tablespoon of fresh or dried leaves and add them to boiling water and let it steep for four to five minutes. Strain and add honey, if needed.

4) White Tea - Stimulates Fat Burning

10 Different Teas That Will Help Boost Your Metabolism and Promote Weight Loss
10 Different Teas That Will Help Boost Your Metabolism and Promote Weight Loss
Made from the youngest leaves and buds, white tea is your best bet to reduce fluoride exposure compared to other teas. White tea has also been found more effective than green tea in fighting germs. White tea has an anti-bacterial, anti-viral and anti-fungal effect. White tea stops the generation of new fat cells and at the same time stimulates the burning of fat. White tea leaves can withstand longer infusion times than other tea types before pouring. It is usual to steep for 7 to 10 minutes

5) Green Tea – Builds Metabolism 

10 Different Teas That Will Help Boost Your Metabolism and Promote Weight Loss
10 Different Teas That Will Help Boost Your Metabolism and Promote Weight Loss
Research says the chemical EGCG found in green tea that speeds up the body’s metabolism, is responsible for helping people lose the kilos – it can burn a whopping 70 calories a day! According to 17 clinical trials, green tea is linked with significantly lower blood sugar. Green tea also raises the level of antioxidants. It’s believed the antioxidant catechins in green tea boost metabolism and helps burn fat. Caution is warranted on green tea as some sources appear to contain excessive levels of sodium fluoride, so try and stick to organic sources. Steeping time for the tea: two to three minutes at 85 Degrees Celsius.

अंकुरित दानों का सेवन



अंकुरित दानों का सेवन केवल सुबह नाश्ते के समय ही करना चाहिये।
अंकुरित आहार शरीर को नवजीवन देने वाला अमृतमय आहार कहा गया है।
अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन (`ए´, `बी´, `सी´, `डी´ और `के´) कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है।
अंकुरीकरण की प्रक्रिया में अनाज/दालों में पाए जाने वाले कार्बोहाइट्रेड व प्रोटीन और अधिक सुपाच्य हो जाते हैं।

अंकुरित आहार को अमृताहार कहा गया है अंकुरित आहार भोजन की सप्राण खाद्यों की श्रेणी में आता है। यह पोषक तत्वों का स्रोत मन गया है । अंकुरित आहार न सिर्फ हमें उन्नत रोग प्रतिरोधी व उर्जावान बनाता है बल्कि शरीर का आंतरिक शुद्धिकरण कर रोग मुक्त भी करता है । अंकुरित आहार अनाज या दालों के वे बीज होते जिनमें अंकुर निकल आता हैं इन बीजों की अंकुरण की प्रक्रिया से इनमें रोग मुक्ति एवं नव जीवन प्रदान करने के गुण प्राकृतिक रूप से आ जाते हैं।

अंकुरित भोजन से काया कल्प करने वाला अमृत आहार कहा गया है अर्थात् यह मनुष्य को पुनर्युवा, सुन्दर स्वस्थ और रोगमुक्त बनाता है। यह महँगे फलों और सब्जियों की अपेक्षा सस्ता है, इसे बनाना खाना बनाने की तुलना में आसान है इसलिये यह कम समय में कम श्रम से तैयार हो जाता है। बीजों के अंकुरित होने के पश्चात् इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है।

खड़े अनाजों व दालों के अंकुरण से उनमें उपस्थित अनेक पोषक तत्वों की मात्रा दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है, मसलन सूखे बीजों में विटामिन 'सी' की मात्रा लगभग नहीं के बराबर होती है लेकिन अंकुरित होने पर लगभग दोगुना विटामिन सी इनसे पाया जा सकता है। अंकुरण की प्रक्रिया से विटामिन बी कॉम्प्लेक्स खासतौर पर थायमिन यानी विटामिन बी१, राइबोप्लेविन यानी विटामिन बी२ व नायसिन की मात्रा दोगुनी हो जाती है। इसके अतिरिक्त 'केरोटीन' नामक पदार्थ की मात्रा भी बढ़ जाती है, जो शरीर में विटामिन ए का निर्माण करता है। अंकुरीकरण की प्रक्रिया में अनाज/दालों में पाए जाने वाले कार्बोहाइट्रेड व प्रोटीन और अधिक सुपाच्य हो जाते हैं। अंकुरित करने की प्रक्रिया में अनाज पानी सोखकर फूल जाते हैं, जिनसे उनकी ऊपरी परत फट जाती है व इनका रेशा नरम हो जाता है। परिणामस्वरूप पकाने में कम समय लगता है और वे बच्चों व वृद्धों की पाचन क्षमता के अनुकूल बन जाते हैं।

अंकुरित करने के लिये चना, मूँग, गेंहू, मोठ, सोयाबीन, मूँगफली, मक्का, तिल, अल्फाल्फा, अन्न, दालें और बीजों आदि का प्रयोग होता है। अंकुरित भोजन को कच्चा, अधपका और बिना नमक आदि के प्रयोग करने से अधिक लाभ होता है। एक दलीय अंकुरित (गेहूं, बाजरा, ज्वार, मक्का आदि) के साथ मीठी खाद्य (खजूर, किशमिश, मुनक्का तथा शहद आदि) एवं फल लिए जा सकते हैं।
द्विदलीय अंकुरित (चना, मूंग, मोठ, मटर, मूंगफली, सोयाबीन, आदि) के साथ टमाटर, गाजर, खीरा, ककड़ी, शिमला मिर्च, हरे पत्ते (पालक, पुदीना, धनिया, बथुआ, आदि) और सलाद, नींबू मिलाकर खाना बहुत ही स्वादिष्ट और स्वास्थ्यदायक होता है। इसे कच्चा खाने बेहतर है क्यों कि पकाकर खाने से इसके पोषक तत्वों की मात्रा एवं गुण में कमी आ जाती है। अंकुरित दानों का सेवन केवल सुबह नाश्ते के समय ही करना चाहिये। एक बार में दो या तीन प्रकार के दानों को आपस में मिला लेना अच्छा रहता है। यदि ये अंकुरित दाने कच्चे खाने में अच्छे नहीं लगते तो इन्हें हल्का सा पकाया भी जा सकता है। फिर इसमें कटे हुए प्याज, कटे छोटे टमाटर के टुकड़े, बारीक कटी हुई मिर्च, बारीक कटा हुई धनिया एकसाथ मिलाकर उसमें नींबू का रस मिलाकर खाने से अच्छा स्वाद मिलता है।

अंकुरण की विधि -


अंकुरित करने वाले बीजों को कई बार अच्छी तरह पानी से धोकर एक शीशे के जार में भर लें शीशे के जार में बीजों की सतह से लगभग चार गुना पानी भरकर भीगने दें अगले दिन प्रातःकाल बीजों को जार से निकाल कर एक बार पुनः धोकर साफ सूती कपडे में बांधकर उपयुक्त स्थान पर रखें ।


गर्मियों में कपडे के ऊपर दिन में कई बार ताजा पानी छिडकें ताकि इसमें नमी बनी रहे।


गर्मियों में सामान्यतः २४ घंटे में बीज अंकुरित हो उठते हैं सर्दियों में अंकुरित होने में कुछ अधिक समय लग सकता है । अंकुरित बीजों को खाने से पूर्व एक बार अच्छी तरह से धो लें तत्पश्चात इसमें स्वादानुसार हरी धनियाँ, हरी मिर्च, टमाटर, खीरा, ककड़ी काटकर मिला सकते हैं द्य यथासंभव इसमें नमक न मिलाना ही हितकर है।

ध्यान दें -


अंकुरित करने से पूर्व बीजों से मिटटी, कंकड़ पुराने रोगग्रस्त बीज निकलकर साफ कर लें। प्रातः नाश्ते के रूप में अंकुरित अन्न का प्रयोग करें । प्रारंभ में कम मात्रा में लेकर धीरे-धीरे इनकी मात्रा बढ़ाएँ।


अंकुरित अन्न अच्छी तरह चबाकर खाएँ।


नियमित रूप से इसका प्रयोग करें।


बुज़र्ग, जो चबाने में असमर्थ हैं वे अंकुरित बीजों को पीसकर इसका पेस्ट बनाकर खा सकते हैं। ध्यान रहे पेस्ट को भी मुख में कुछ देर रखकर चबाएँ ताकि इसमें लार अच्छी तरह से मिल जाय।

Thursday, 6 February 2014

about piles

बवासीर या हैमरॉइड से अधिकतर लोग पीड़ित रहते हैं। इस बीमारी के होने का प्रमुख कारण अनियमित दिनचर्या और खान-पान है। बवासीर में होने वाला दर्द असहनीय होता है। 

बवासीर मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण विकसित होता है। बवासीर दो तरह की होती है, अंदरूनी और बाहरी। अंदरूनी बवासीर में नसों की सूजन दिखती नहीं पर महसूस होती है, जबकि बाहरी बवासीर में यह सूजन गुदा के बिलकुल बाहर दिखती है। 

बवासीर के आयुर
्वेदिक उपचार
डेढ़-दो कागज़ी नींबू अनिमा के साधन से गुदा में लें। 10-15 मिनट के अंतराल के बाद थोड़ी देर में इसे लेते रहिए उसके बाद शौच जायें। यह प्रयोग 4-5 दिन में एक बार करें। इसे 3 बार प्रयोग करने से बवासीर में लाभ होता है ।

हरड या बाल हरड का प्रतिदिन सेवन करने से आराम मिलता है। अर्श (बवासीर) पर अरंडी का तेल लगाने से फायदा होता है।
नीम का तेल मस्सों पर लगाइए और इस तेली की 4-5 बूंद रोज़ पीने से बवासीर में लाभ होता है।
करीब दो लीटर मट्ठा लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और थोडा नमक मिला दें। जब भी प्यास लगे तब पानी की जगह यह छांछ पियें। चार दिन तक यह प्रयोग करेने से मस्सा ठीक हो जाता है।
इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से से अनियमित और कड़े मल से राहत मिलती है। इससे कुछ हद तक पेट भी साफ रहता है और मस्सा ज्यादा दर्द भी नही करता।

बवासीर के उपचार के लिये आयुर्वेदिक औषधि अर्शकल्प वटी का प्रयोग चिकित्सक की सलाह अनुसार कर सकते हैं


uses of rusbhari

मकोय (रसभरी)
- आजकल मकोय के फलों का मौसम चल रहा है।मौसमी फलों का सेवन अवश्य करना चाहिए।
- यह हर जगह अपने आप ही उग जाती है। सर्दियों में इसके नन्हे नन्हे लाल लाल फल बहुत अच्छे लगते हैं ।ये फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और लाभदायक भी।इसके फल जामुनी रंग के या हलके पीले -लाल रंग के होते हैं ।
- मकोय के फल सवेरे सवेरे खाली पेट खाने से अपच की बीमारी ठीक होती है।
- शहद मकोय के गुणों को सुरक्षित रख कर दोषों को दूर करता है।
- यह वात , पित्त और कफ नाशक होता है।
- यह सूजन और दर्द को दूर कर
ता है।
- शुगर की बीमारी हो या फिर कमजोरी हो तो मकोय के सूखे बीजों का पावडर एक एक चम्मच सवेरे शाम लें . किडनी की बीमारी हों तो 10-15 दिन लगातार इसकी सब्जी खाइए . इसके 10 ग्राम सूखे पंचांग का 200 ग्राम पानी में काढ़ा बनाकर पीयें .
- बुढापे में हृदय गति कम हो जाए तो इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें । हृदय की किसी भी प्रकार की बीमारी के लिए 5 ग्राम मकोय का पंचांग और 5 ग्राम अर्जुन की छाल ; दोनों को मिलाकर 400 ग्राम पानी में पकाएँ । जब एक चौथाई रह जाए तो पी लें ।
- लीवर ठीक नहीं है , पेट खराब है , आँतों में infection है , spleen बढ़ी हुई है या फिर पेट में पानी भर गया है ; सभी का इलाज है मकोय की सब्जी . रोज़ इसकी सब्जी खाएं । या फिर इसके 10 ग्राम पंचांग का काढ़ा पीयें ।
- पीलिया होने पर इसके पत्तों का रस 2-4 चम्मच पानी मिलाकर ले लें ।
- अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें । अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा ।
- त्वचा सम्बन्धी बीमारियाँ भी इसके नित्य प्रयोग से ठीक होती हैं ।
- यह सर्दी -खांसी , श्वास के रोग , हिचकी आदि को ठीक करता है।

benefits of cow"ghee

गाय के घी का महत्त्व -
आज खाने में घी ना लेना एक फेशन बन गया है . बच्चे के जन्म के बाद डॉक्टर्स भी घी खाने से मना करते है . दिल के मरीजों को भी घी से दूर रहने की सलाह दी जाती है .ये गौमाता के खिलाफ एक खतरनाक साज़िश है . रोजाना कम से कम २ चम्मच गाय का घी तो खाना ही चाहिए .
- यह वात और पित्त दोषों को शांत करता है .
- चरक संहिता में कहा गया है की जठराग्नि को जब घी डाल कर प्रदीप्त कर दिया जाए तो कितना ही भारी भोजन क्यों ना खाया जाए , ये बुझती नहीं .
- बच्चे के जन्म के बाद वात बढ़ जाता है जो घी के सेवन से निकल जाता है . अगर ये नहीं निकला तो मोटापा बढ़ जाता है .
- हार्ट की नालियों में जब ब्लोकेज हो तो घी एक ल्यूब्रिकेंट का काम करता है .
- कब्ज को हटाने के लिए भी घी मददगार है .
- गर्मियों में जब पित्त बढ़ जाता है तो घी उसे शांत करता है .
- घी सप्तधातुओं को पुष्ट करता है .
- दाल में घी डाल कर खाने से गेस नहीं बनती .
- घी खाने से मोटापा कम होता है .
- घी एंटी ओक्सिदेंट्स की मदद करता है जो फ्री रेडिकल्स को नुक्सान पहुंचाने से रोकता है .
- वनस्पति घी कभी न खाए . ये पित्त बढाता है और शरीर में जम के बैठता है .
- घी को कभी भी मलाई गर्म कर के ना बनाए . इसे दही जमा कर मथने से इसमें प्राण शक्ति आकर्षित होती है . फिर इसको गर्म करने से घी मिलता है

benefits of chunder, beets

चुकंदर का सेवन अधिकतर लोग सलाद के रूप में या जूस बनाकर करते हैं। इसके लाल रंग के कारण अधिकतर लोग सिर्फ इसे खून बढ़ाने वाली चीज के रूप में ही जानते हैं और इसका उपयोग भी इसीलिए करते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं इसे खाने के एक नहीं अनेक फायदे हैं। आज हम बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही फायदों के बारे में.....

गुणों से भरपूर- सोडियम पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन, आयोडीन, आयरन और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाए जाते है इसे खाने से हिमोग्लोबिन बढ़ता है।उम्र के साथ ऊर्जा व शक्ति कम होने लगती है, चुकंदर का सेवन अधिक उम्र वालों में भी ऊर्जा का संचार करता है। इसमें एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं। जो हमेशा जवान बनाएं रखते हैं।

त्वचा के लिए फायदेमंद- यदि आपको आलस महसूस हो रही हो या फिर थकान लगे तो चुकंदर का खा लीजिये। इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है जो शरीर की एनर्जी बढाता है।सफेद चुकंदर को पानी में उबाल कर छान लें। यह पानी फोड़े, जलन और मुहांसों के लिए काफी उपयोगी होता है। खसरा और बुखार में भी त्वचा को साफ करने में इसका उपयोग किया जा सकता है।

दिल की बीमारियां- चुकंदर में नाइट्रेट नामक रसायन होता है जो रक्त के दबाव को काफी कम कर देता है और दिल की बीमारी के जोखिम को भी कम करता है। चुकंदर एनीमिया के उपचार में बहुत उपयोगी माना जाता है। यह शरीर में रक्त बनाने की प्रक्रिया में सहायक होता है। आयरन की प्रचुरता के कारण यह लाल रक्त कोशिकाओं को सक्रिय रखने की क्षमता को बढ़ा देता है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और घाव भरने की क्षमता भी बढ़ जाती है।

हाई ब्लड प्रेशर में- लंदन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने रोज चुकंदर का जूस पीने वाले मरीजों को अध्ययन में शामिल किया। उन्होंने रोज चुकंदर का मिक्स जूस [गाजर या सेब के साथ] पीने वाले मरीजों के हाई ब्लड प्रेशर में कमी पाई। अध्ययन के मुताबिक रोजाना केवल दो कप चुकंदर का मिक्स जूस पीने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। हालांकि इसका ज्यादा सेवन घातक साबित हो सकता है।

कब्ज और बवासीर-चुकंदर का नियमित सेवन करेंगे, तो कब्ज की शिकायत नहीं होगी। बवासीर के रोगियों के लिए भी यह काफी फायदेमंद होता है। रात में सोने से पहले एक गिलास या आधा गिलास जूस दवा का काम करता है।
लोग जिम में जी तोड़ कर वर्कआउट करते हैं उन्हें खाने के साथ चुकंदर खाना चाहिए। इससे शरीर में एनर्जी बढती है और थकान दूर होती है। साथ ही अगर हाई बीपी हो गया हो तो इसे पीने से केवल 1 घंटे में शरीर नार्मल हो जाता है।

mast kalander chuu le